“माया पापा की”
की वो कीचड़ में रह कर खिलता है कमलों की तरह,
सुनता सब का है मगर चुप है दीवारों की तरह,
कभी उस बाप को लाचार न होने देना,
क्योंकि कही उड न जाए बिन बताए सपनों की तरह
© जसवंत लखारा
गांव :- हरजी, जालोर (राजस्थान)
की वो कीचड़ में रह कर खिलता है कमलों की तरह,
सुनता सब का है मगर चुप है दीवारों की तरह,
कभी उस बाप को लाचार न होने देना,
क्योंकि कही उड न जाए बिन बताए सपनों की तरह
© जसवंत लखारा
गांव :- हरजी, जालोर (राजस्थान)