” माया नगरी “
माया नगरी की अद्भुत माया तो
अंतहीन है
इसके सामने बड़े से बड़ा जादूगर भी
कौड़ी का तीन है ,
हमाम में सब नंगे हैं ये सब जानते हैं
पर ये तो
इसकी नुमाईश
खुले बाज़ार सरेआम करते हैं ,
सच पर चुप बैठे हैं देखो
याद नही अब कुछ भी इनको
भूल गये हैं तो याद दिलाऊँ
सुल्तान बादशाह शहंशाह कहते थे खुद को ,
किस मुँह से ये बोलते हैं
और कौन सी थाली की बात करते है
थाली के बैगन की कहावत
जो पल में चरितार्थ करते हैं ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 21/09/2020 )