मायका
एक बेटी के कदम
जैसे ही मायके के
दरवाजे पर पड़ते है
मारे खुशी के उसके
पैर थिरकने लगते हैं
मायके के दहलीज आते ही
मन खुशी से झूमने लगते है।
घर का एक- एक कोना जैसे
खिंच रहा हो उसे अपने अंदर
पुरानी यादें यकायक
आँखों में छलकने लगते हैं
मायका के दहलीज पर आते ही
मन खुशी से झूमने लगते है।
हो ससुराल चाहे कितना भी अच्छा
मायका लगता बेटी को सच्चा
माता-पिता, भइया बहना
से मिलकर
जीवन के उमंग फिर से
जगने लगते है
मायका का दहलीज आते ही
मन खुशी से झूमने लगते हैं।
हँसी ठहाकों मस्ती का दौर
फिर से शुरू हो जाता है
रूखी-सूखी खानों में भी
एक नया स्वाद आ जाता है
प्यार और अपनत्व की खुशी
जीवन में एक नया जायका
लेकर आता है।
मायका का दहलीज आते ही
मन खुशी से झूमने लगता है।
इस जायके साथ जब
वह अपने घर को जाती है
मायका की खूशबू के साथ
ससुराल को वह महकाती है।
इसलिए बीच-बीच में बेटी को
मायका आना जरूरी है।
जीवन उमंग-तरंग भरा रहे
इसलिए मायका का सुख भी जरूरी है।
~अनामिका