*”मान”*
“मान” (रुँगी छंद)
मान जैसा ,
भाव वैसा ,
रीत जैसी ,
प्रीत वैसी।
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मान जाऊँ ,
देख पाऊँ ,
काम तेरा ,
नाम मेरा।
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मान पाया ,
जान पाया ,
मीत आया ,
गीत गाया।
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रोज गाते ,
भाव लाते ,
गीत गाये ,
राग भाये।
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शशिकला व्यास✍️