माना गलतियां हुई —— कविता
माना गलतियां हुई होगी हमसे।
क्षमा मांगते है प्रकृति तुमसे।
ऐसे भी न रुठो कि हम ही न रहे।।
बचाओ बचाओ महामारी के गम से।।
जग सारा चीत्कार रहा है,जीव हर पुकार रहा है।
करो रहम निकाल दिया अहम हमने मन से।।
न मनमानी करेंगे,संरक्षण तुम्हारा करेंगे।
समझाएंगे लोगो को अपने जतन से।।
ताकत सारी क्षीण है,आप ही प्रवीण है।
मान गए शक्ति तुम्हारी,सच कहते है कसम से।।
राजेश व्यास अनुनय