माना की अनपढ़ हु,,,
माना कि,पढ़ी लिखी नही हु
पर हु तो बेटा तेरी माँ
आज तू बड़ा हो गया
लेकिन तू भूल गया की
इसी अनपढ़ माँ ने ही तुझे बड़ा किया
बचपन से लेकर अब तक सही गलत सिखाया
जब तू भागते भागते गिर जाता था
तो इसी माँ ने ही तुझे चलना सिखाया है
तेरी हर गलती पर प्यार से समझाकर
तुझे सही और गलत का पाठ पढ़ाया है
जब तू स्कूल मे टॉप आता था
तो इसी अनपढ़ माँ ने तुझे
रात रात भर जगाकर पढ़वाया था
तू कही पढ़ाई करते करते सो न जाए
इसलिए रात भर जागा करती थी
उबासी मे तेरे लिए कही बार
चाय बनाया करती थी
मंदिरों मे जाकर तेरे लिए दुआएँ करती थी
और आज तू कहता है की माँ
तुझे कुछ नही पता
तुझे कुछ नहीं आता जाता
क्योंकि तू अनपढ़ है
मेरे अनपढ़ होने पर
तुझे शर्म आती है
बेटा तू शायद भूल गया कि
इसी अनपढ़ माँ ने तुझे
इस काबिल बनाया है कि
तू दुनिया के साथ कदम से
कदम मिलकर चल सके,,,
श्री रावत,,,,