मानस
कुण्डलिया छंद
(तुलसी जयंती पर विशेष )
1.मानस
पावन मानस की कथा,शुभ्र अमिय का रूप।
जीवन का संतोष धन,हरती सब विद्रूप।
हरती सब विद्रूप,पाप से मुक्त कराती।
मानवता सन्देश,कुटिलता को हरवाती।
करती सब कुछ शुद्ध,सत्य का कर आवाहन।
है अद्भुत ये ग्रंथ, सरस अति सुंदर पावन।
2
तुलसी ने मानस लिखी,काव्य गुणों से युक्त।
आदर्शों की संहिता,करती मन को मुक्त।
करती मन को मुक्त,राज का धर्म बताती।
ज्ञान भक्ति वैराग्य,सदाशय को अपनाती।
दे तुलसी को जन्म ,खुशी से फूली हुलसी।
देकर मोक्ष सुमार्ग, अमर हैं मानस तुलसी।
सुशील शर्मा