मानसिक क्षमता के विकास हेतु जरूरी है मस्तिष्क की जिमिंग
जी हां पाठको, मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि स्वस्थ मन का स्वस्थ शरीर पर सीधा असर पड़ता है । मन को जकड़ते रोगो के वर्तमान दौर में दिमागी कसरत हमारे लिये अनिवार्यता बन चुकी है, ‘खास तौर पर हम महिलाओं के लिए’ ।
रोजाना मस्तिष्क की कसरत करने से अवसाद, चिड़चिड़ापन तथा चिंता कम होती है और मानसिक क्षमता का विकास होता है । आप अपना दैनिक कार्य करते हुए भी इन्हें कर सकते हैं ।
1.घरेलू सामान की सूची तैयार करना
अपने जरूरी किराने के सामान की सूची तैयार करें । जब सामान खरीदने जाएं तो सामान की सूची को ध्यान से पढ़ें और घर पर ही छोड़ दें । अब आपको जो भी सामान याद है, वह खरीदें । यदि आपको लगता है कि आप कुछ भूल रहीं हैं, तो दिमाग पर जोर डालकर याद करने की कोशिश करें । बार-बार बाजार जाने से बचने के लिए लिस्ट की मोबाईल में फोटो भी खींचकर रख सकते हैं । लेकिन लिस्ट तभी देखें, जब आप वस्तु याद करके थक जाएं ।
2. शब्दों का खेल खेलना
ये कसरत काफी मजेदार है । आपको सिर्फ एक शब्द या कोई चीज सोचनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपने सोचा, चावल, तो अब सोचें कि चावल से संबंधित और कौन सी चीजें हो सकती हैं, जैसे खीर, खिचड़ी, पुलाव इत्यादि । इसी प्रकार से कइ प्रकार की वस्तुओं या शब्दों का प्रयोग कर याददाश्त बढ़ा सकतीं हैं ।
3. अपनी दिनचर्या याद करें
मान लीजिए कि आप ऑफिस या कहीं बाहर से घर आई हैं, तो दरवाजा खोलने के बाद सबसे पहले क्या करती हैं, शायद चप्पल उतारती होंगी या चाबी अपने निर्धारित स्थान पर रखती होंगी । कुछ इसी तरह दिनभर की गतिविधियों को याद करें । हर बारीक गतिविधि को याद करें । आंखे बंद करके कल्पना करें । आंखे खुली होने से ध्यान भटक सकता है ।
4. मैप स्केच करें
अगर आपको चित्रकारी पसंद है तो यह आपको बिल्कूल पसंद आएगा । मान लीजिए कि आपके घर के करीब आपकी दोस्त रहती है । अब आपके घर से उसके घर के बीच का रास्ता एक पन्ने पर स्केच करें-एक मैप की तरह । इसी तरह किसी दुकान या मेड़ीकल स्टोर जैसे स्थानों को याद करें और उसका मैप स्केच करें । रेल मार्ग के स्टेशनों का सिलसिला भी लिख सकती हैं ।
5. डालें किताब पढ़ने की आदत
किताबे पढ़ना सबसे बुनियादी आदतों में से एक है । आप भी यदि किताबें पढ़ने का शौक रखती हैं, तो कुछ आसान तरीको से इसकी शुरूआत कर सकती हैं । सबसे पहले किताबें पढ़ने का समय तय करें । इस तय समय में ही किताबें पढ़ें, फिर वो दस या बीस मिनिट ही क्यों न हो । अगर ग्रहिणी हैं, तो धीरे-धीरे पढ़ने का समय बढ़ाएं । यह जरूरी नहीं है कि पढ़ने की शुरूआत बड़ी या भरी किताबों से ही की जाए । ऐसी किताबें चुनें, जिसे आप आसानी से पढ़ पाएं । छोटी किताब से पढ़ना शुरू करें, इसके बाद धीरे-धीरे बड़ी किताबों को पढ़ें । किताब पढ़ने के लिये अपना मनपसंद विषय चुनेंगी, तो ज्यादा अच्छा रहेगा, आप जिसमें दिलचस्पी रखती हों, वही पढ़ेंगी तो बोरियत भी नहीं होगी । यह भी तय कर लें कि किताब के दो पन्ने पढ़ने ही है । अगर आप दो से ज्यादा पन्ने पढ़ सकती हैं तो कुछ दिनों बाद इनकी संख्या बढाएं ।
इसके साथ ही साथ आप लिखने का शौक रखती हो, जैसे कहानी, कविता, लेख इत्यादि जिस भाषा में लिखना चाहें, शुरू कर दें । आप धीरे-धीरे महसूसहसूस करेंगी कि यह सब कसरत करने से मन को बहुत शांति मिलती है और सबसे बड़ी बात आत्म संतुष्टि ।
इसके अलावा मेरा यह सुझाव है कि आप कामकाजी हो या ग्रहिणी हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता……फर्क पड़ता है दिमाग को खाली रखने से या फालतु विचारों से । आप दिनभर में जो भी कार्य करें, शांत मन से धैर्य और संयम के साथ बीच-बीच में विश्रांति लेकर करें और जो भी करें पूर्णत: सकारात्मक रहकर करें । आप चाहें तो आपके शौक के अनुसार गाना सुन सकती हैं, सिलाई-कढ़ाई-बुनाई कर सकती हैं और साथ ही चाहें तो आपकी मनपसंद क्लास जॉईन कर लीजिये, जैसे डिजाईनिंग, ब्यूटी पार्लर, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग इत्यादि । कहने का मतलब है कि किसी न किसी रूप में अपने आपको व्यस्त रखिएगा । कोई पुराना आपका पसंदीदा शौक जो अधुरा रह गया हो, तो उसे पूरा कर सकती हैं ।
यकीन मानिएगा, आप धीरे-धीरे स्वयं में परिवर्तन पाएंगी, इस तरह से मस्तिष्क की कसरत तो होगी ही साथ में अवसाद, चिड़चिड़ापन तथा चिंताएं भी कम होकर आपकी मानसिक क्षमता का विकास अवश्य ही होगा, जो आपके परिवार के लिये बेहद जरूरी सिद्ध होगा, क्यों कि हम परिवार की धुरी हैं, और हम स्वस्थ रहेंगे तो पूरे परिवार को स्वस्थ रख पाएंगे, यह मेरा मानना है ।
फिर पाठको, मेरा ब्लॉग केसा लगा आपको, अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा जरूर । मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद आपका ।
आरती आयाचित
भोपाल