मानसिकता का प्रभाव
सही गलत मानसिकता का प्रभाव मात्र है
माना बागेश्वर मे गलत तो क्या बाकी सही है
हमारे भाव गलत भक्ति गलत विश्वास गलत है
सही केवल बिष्णेरीयो के तर्क वितर्ख मात्र है
विज्ञान के आड मे धर्म को आईना दिखाते है
कुछ बुद्धि जीवि सूरज को रोशनी दिखाते है
ये वो लोग है जो पैदा हो कर अपनी माँ से
अपने बाप को बाप होने का सबूत मांगते
अब कुछ लोग ये इस प्रकार उन्नती लायेंगे देश मे
घोड़ो को लाध् कर गधों को लगाते उन्नति कि रेस मे
दुध दही और घी बहता था मेरे इस देश मे
पानी भी मिलता है अब यहाँ आज पेकिट मे
बराबरी की तर्ज मे आबरू लूटते फेशन क्रेज मे
हमने तो नारी बराबर नहीं, स्त्री को माँ कहा है
देवता तक ललाहीत हो कर, खेले हे इस गोद मे
आधुनिक युग की आड़ मे, संस्कृति मिटाई जा रही है
क्या मिटा पाओगे!, हमने तो सर्वे भवन्तु सुखिनः माना है
सूर्य पूजा चाँद तारो की गण्ना, हमारे शास्त्रो से तुमने जाना है
पेड़, पहाड़, फूल, पत्ती, पानी,हवा, नदी,आदि को भगवान माना है
जीव जन्तु हि नहीं, हमने धरती के हर कण कण को शंकर मना है