मानव मूल्य शर्मसार हुआ
आज फिर साछी पर चाकू पत्थर से वार हुआ!
श्रद्धा -निर्भया जैसा मानवता का संघार हुआ!!
पर अबकी बार सरे-आम चलते बाजार हुआ!
देख रहे थे सब,पर नही कोई प्रतिकार हुआ!!
अपने बेटा-बेटी संग भी कया ये व्यवहार हुआ?
समझ नही आ रहा कैसा निर्जीवी संसार हुआ?
राजनीतिग्यो और चैनलो का गर्म बाजार हुआ!
आरोपो-दोषारोपडो पर सीमित संस्कार हुआ!!
चिता शान्त नही हुई मानव मूल्य शर्मसार हुआ!
लव जिहाद और पुलिस प्रशासन की नाकामी,
जैसे मुद्दो को ले फिर से गर्म यह बाजार हुआ!!
जिदा लाशो का बना शहर,क्यू बारम्बार हुआ?
“लड कर लिया पाकिस्तान हंसकर लेगे भारत”
एक नए एजेन्डा का लगता अविष्कार हुआ!
मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित
बोधिसत्व कस्तूरिया अधिवक्ता कवि पत्रकार
202 नीरव निकुंज Ph2 रॉयललोक फर्नीचर के पीछे सिकंदरा आगरा -282007