मानव बनना भूल रहे
हर ओर हाहाकार मचा है
प्राणिमात्र है निशाने पर
मानवता शर्मशार खड़ी है
आज बीच चौराहे पर
पाश्चात्य देशों के प्रतिस्पर्धा में
संस्कृति अपनी भूल रहे
डॉक्टर इंजिनियर बनने में
हम मानव बनना भूल रहे
प्रगतिशील इस राष्ट्र के
इंसानो की क्या बात करें
अपराधों के हर क्षेत्र में ये
परचम लहराने से नहीं डरे
बलात्कार हो, शोषण हो
या हो जायदाद की जंग
भयंकर इन के परिणाम से
रूह भी रह जाती दंग
अपराधों के इस नींव पर
सज्जनता की भाषा बोल रहे
पद प्रतिष्ठा के खातिर
मानव बनना भूल रहे
स्त्री का सम्मान देखो अब
प्रदर्शन बन कर डोल रहा
अर्धनग्न के फैशन का जादू
सबके सर चढ़कर बोल रहा
लज्जारहित बालाएं हो गई
शर्म हीन हो गया पुरुषार्थ
विषयों के आनंद में सब खोये
नहीं रह गया अब परमार्थ
स्वार्थी बनकर देखो तो ये
निःस्वार्थ की भाषा बोल रहे
पद प्रतिष्ठा के मद में हम
मानव बनना भूल रहे
नवजात शिशु भी यहाँ
इनके नज़रों से बची नहीं
माँ के हत्या को भी इनके
बाहों में कपकपी हुई नहीं
छोटी छोटी बात पर देखो
खून के प्यासे लोग यहाँ
हैवानियत ही हैवानियत है
इंसानियत अब रही कहाँ
इंसानियत का मुखौटा पहनकर
हैवान है स्वतंत्र डोल रहे
डिप्टी प्रोफ़ेसर के मद में
मानव बनना भूल रहे