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14 Nov 2018 · 1 min read

मानव बनना भूल रहे

हर ओर हाहाकार मचा है
प्राणिमात्र है निशाने पर
मानवता शर्मशार खड़ी है
आज बीच चौराहे पर
पाश्चात्य देशों के प्रतिस्पर्धा में
संस्कृति अपनी भूल रहे
डॉक्टर इंजिनियर बनने में
हम मानव बनना भूल रहे

प्रगतिशील इस राष्ट्र के
इंसानो की क्या बात करें
अपराधों के हर क्षेत्र में ये
परचम लहराने से नहीं डरे
बलात्कार हो, शोषण हो
या हो जायदाद की जंग
भयंकर इन के परिणाम से
रूह भी रह जाती दंग
अपराधों के इस नींव पर
सज्जनता की भाषा बोल रहे
पद प्रतिष्ठा के खातिर
मानव बनना भूल रहे

स्त्री का सम्मान देखो अब
प्रदर्शन बन कर डोल रहा
अर्धनग्न के फैशन का जादू
सबके सर चढ़कर बोल रहा
लज्जारहित बालाएं हो गई
शर्म हीन हो गया पुरुषार्थ
विषयों के आनंद में सब खोये
नहीं रह गया अब परमार्थ
स्वार्थी बनकर देखो तो ये
निःस्वार्थ की भाषा बोल रहे
पद प्रतिष्ठा के मद में हम
मानव बनना भूल रहे

नवजात शिशु भी यहाँ
इनके नज़रों से बची नहीं
माँ के हत्या को भी इनके
बाहों में कपकपी हुई नहीं
छोटी छोटी बात पर देखो
खून के प्यासे लोग यहाँ
हैवानियत ही हैवानियत है
इंसानियत अब रही कहाँ
इंसानियत का मुखौटा पहनकर
हैवान है स्वतंत्र डोल रहे
डिप्टी प्रोफ़ेसर के मद में
मानव बनना भूल रहे

Language: Hindi
2 Likes · 369 Views
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