मानव तू हाड़ मांस का।
मानव तू हाड़ मांस का…
केवल मात्र इक खिलौना है…!!
तू मिट्टी से जन्मा है…
तुझको मिट्टी में मिल जाना है…!!
पंच तत्व की ऊर्जा से…
मानव तेरा ये जीवन चल रहा है…!!
अपने बुरे कर्मों से लगातार तू…
इनका ह्रास कर रहा है…!!
सर्वगुण संपन्न तू ईश्वर की…
एक अप्रतिम रचना है…!!
मानव तेरा स्वयं से जीव निर्माण…
एक कृत्रिम सपना है…!!
मानव तू मति भ्रष्ट हुआ है…
अपने ईश्वर को दिए वचन से…!!
धर्म कर्म सब तुमने छोड़ें…
धन के लालच में जीवन के…!!
मानव तू सर्वश्रेष्ट है…
ये तेरा एक भ्रम है…!!
तेरा आस्तित्व ईश्वर का…
एक छोटा सा श्रम है…!!
क्षमा मांग कर मानव तू ईश्वर से…
जीवन को पुनः परिलक्षित कर…!!
ईश्वरीय गुणों को मानव तू…
स्वयं में अवशोषित कर…!!
ईश्वर बड़ा दयालु है…
वह सब पर कृपालु है…!!
ईश्वर तुझ पर दया दिखाएगा मानव…
यदि बनता तू उसका श्रद्धालु है…!!
विनती कर ले मानव तू…
श्री हरि के चरणों में…!!
तुझको मोक्ष प्राप्ति होगी…
अपने सभी बुरे करमों से…!!
हे मानव तू आज अभी से…
नए जीवन का सृजन कर…!!
अपने निष्कपट कर्मों से…
ईश्वर को प्रसन्न कर…!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ