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7 Jun 2017 · 1 min read

मानव और पर्यावरण

कुदरत ने बनाकर भेजा,
हम मानव को रक्षक।
आज स्वार्थी बन करके,
हम हो गये हैं भक्षक।

प्रकृति का नियम यही,
सुरक्षा और संतुलन।
सर्व जीवों का वास रहे,
शरीर में हो अनुकूलन।
मत छिने किसी प्राणी से
जो है उनका ,अपना हक।।
आज स्वार्थी ……..

मानव ने है भंग किया,
प्रकृति का अनुशासन।
हवा जल में घुल गई है,
रोग , जहर व प्रदुषण।
भोगी तू , बना ही रहा
तो एक दिन होगा रंक।।
आज स्वार्थी….

काल के परिवर्तन में तो,
हमने है कई जीव खोया।
अपशिष्ट ढेर लगाया भी,
जीवनपथ में कंटक बोया।
अब तू , संभल लें जरा
बढ़ा कदम , जान परख।।
आज स्वार्थी ……

खुलने लगी आंखें जब,
अस्तित्व पर है खतरा।
लांघ चुके मर्यादा हम,
चहुँ ओर हाहाकार पसरा।
वृक्षों से भाग्योदय अपनी
मत काटो तुम , इन्हें अब।।
आज स्वार्थी…..

पर्यावरण दिवस में हम,
संकल्प लें इस बात की।
आवश्यकता रखें कम,
जीयें प्रकृति के साथ ही।
“जीयें और जीने दें ”
आज मांग है और सबक।।
आज स्वार्थी……

✒रचयिता :- मनी भाई )

Language: Hindi
914 Views
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