मानवीय प्रक्ल्प
डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
प्रशिक्षण
प्रतिभा
और परिश्रम है
यदि तरकश में तेरे
तो
मंजिलों की कोई
कमी नही ||
आरक्षण
तो महज
कुछ कायर लोगों की
सोच का परिमाण है
आन्खें खोलो
खुद को तोलो ||
श्रमेव जयते
मन्त्र कर मनन
अपनी ऊर्जा के
अनन्य भण्डार से
लेकर अपेक्षा ,
भूल जा उपेक्षा
सम्भावनाओं के
वक्ष पर
अपने हस्ताक्षर
लिख दो
प्रशिक्षण
प्रतिभा
और परिश्रम है
यदि तरकश में तेरे
तो
मंजिलों की कोई
कमी नही ||
थक जाए तो विश्राम लेना
कोशिश लेकिन जारी रखना
मंजिल तक आकर भी बन्धु
सतत प्रयास से कभी
मुख नही है मोड्ना
प्रशिक्षण
प्रतिभा
और परिश्रम है
यदि तरकश में तेरे
तो
मंजिलों की कोई
कमी नही ||