मानवता
यूक्रेन रूस में जंग छिड़ी
है जग में हाहाकार मची,
परमाणु युद्ध के मुहाने पर
मानवता फिर कराह रही।
मिथ्या वर्चस्व हेतु दोनों ने
कितने जानो की दावँ लगा दी
ढोते झूठा ये आत्म सम्मान
लाशों की चतुर्दिक ढेर बिछा दी।
नाटो से जुड़ने की इच्छा
है यूक्रेन पर भारी पड़ी,
चढ़ा उसे पहाड़ पर नाटो ने
नीचे सीढ़ी आप खींच ली।
शूली पर चढ़ शहीद हो रहा
न किया विवेक का उपयोग,
है शायद अमेरिका कर रहा
नूतन एक अभिनव प्रयोग।
भरी मांग देख दूसर की
अपना लिलार जो लेते फोड़
हाल यही उनका होता है
जब राजा से रंक लेता जोड़ ।
उसने सदा खिलाफ हमारे
है यूएनओ में किया वोट
तलुए आज चाटता मेरा
आज भी नियत उसकी खोट।
दादागिरी देश नाटों की
जरा न उसके काम है आयी
पड़ा मुसीबत में जब बंदा
बस भारत की याद है आयी।
छोड़ खिलाफत हमने उसकी
उसके लिये बात की रसिया से
लेकर विशाल दिल सोच बड़ी
संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिना से।
तुम सर से पत्थर मत तोड़ो
निर्मेष चढ़ाये पर मत चढ़ना
सिर फूटा देख हँसेगे पत्थर
सीखो तुम औकात में रहना।