“””मानवता”” ही महान ____ कविता
अभिमान अपना खुद न जाने,
कभी किसी को मारना न ताने।
होगी क्या गति सोचो आगे जाकर,
सृष्टि रचयिता भगवान ही जाने ।
अरे गाइए कुछ ऐसे तराने,
नए हो चाहे हो पुराने।
कमियां किसी की ढूंढने के,
खोजते हो क्यों बहाने।।
छुपाया पाप भीतर है,
चल दिए गंगा नहाने।
अपने अंदर झांका नहीं,
सदा बनते रहे सयाने।।
“”मानवता”” ही महान,
बनिए उसके दीवाने।
चल पड़े हम उसी राह पर,
कोई माने या ना माने।।
“””राजेश व्यास अनुनय”””