मानवता से बड़ा न कोई
अब क्यों ना भड़के बेचारा,
जनता ने जब किया किनारा।
जाति धरम की बात चली ना,
शाहिन की बरसात चली ना।।
खूब चलाए लाठी डण्डे,
मिले दहाई मे फिर अण्डे।
अब वो नेता क्यों पछताते,
जो हैं जनता को भड़काते।।
राग पाक का गाना छोड़ो,
भाई को भाई से जोड़ो।
जब तक इनको लड़वाओगे,
ऐसे ही तुम पछताओगे।।
मानवता से बड़ा न कोई,
इसको खोया सब कुछ खोई।
बात “जटा” की सुन लो नेता,
मानवता ही सब सुख देता।।
जटाशंकर “जटा”
०९-०१- २०२०