Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2021 · 1 min read

मानवता मानव का

———————————–
तन से मानव,मन से मानव।
आप नहीं क्या प्रण से मानव?
मानवता दिखलाना पड़ता।
दु:ख में साथ निभाना पड़ता।

मानवता की कुछ शर्तें हैं।
घृणा,द्वेष गहरी गर्ते हैं।
उनसे उठकर आना पड़ता।
तोड़-ताड़कर सारी जड़ता,
अपना हाथ बढ़ाना पड़ता।

मानव मन में उथल-पुथल है।
स्वारथी दानव का जंगल है।
फिसलन से तर सारे रस्ते।
अहंकार से चुपड़े-चुपड़े।
उसपर आगे बढ़ना पड़ता।
कठिनाई हर सहना पड़ता।
मानवता तब विजयी होता।
मानव तब जा ईश्वर बनता।

मानवता में संस्कृति होना है।
संस्कार में व मानवता।
प्राणी को मानव होना है।
उसे त्यागनी है दानवता।

अपना दु:ख खुद पीना पड़ता।
यूँ मानवता जीना पड़ता।
यूँ मानवता जीना पड़ता।
————————————-
अरुण कुमार प्रसाद

Language: Hindi
129 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दानवता की पोषक
दानवता की पोषक
*Author प्रणय प्रभात*
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
गुरु बिन गति मिलती नहीं
गुरु बिन गति मिलती नहीं
अभिनव अदम्य
*Dr Arun Kumar shastri*
*Dr Arun Kumar shastri*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अर्ज है पत्नियों से एक निवेदन करूंगा
अर्ज है पत्नियों से एक निवेदन करूंगा
शेखर सिंह
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
sushil sarna
दिल लगाएं भगवान में
दिल लगाएं भगवान में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मे कोई समस्या नहीं जिसका
मे कोई समस्या नहीं जिसका
Ranjeet kumar patre
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
“सबसे प्यारी मेरी कविता”
“सबसे प्यारी मेरी कविता”
DrLakshman Jha Parimal
आग उगलती मेरी क़लम
आग उगलती मेरी क़लम
Shekhar Chandra Mitra
डोरी बाँधे  प्रीति की, मन में भर विश्वास ।
डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास ।
Mahendra Narayan
शिव स्तुति
शिव स्तुति
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
"जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन सुंदर खेल है, प्रेम लिए तू खेल।
जीवन सुंदर खेल है, प्रेम लिए तू खेल।
आर.एस. 'प्रीतम'
2670.*पूर्णिका*
2670.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
Raksha Bandhan
Raksha Bandhan
Sidhartha Mishra
जो उसने दर्द झेला जानता है।
जो उसने दर्द झेला जानता है।
सत्य कुमार प्रेमी
रूकतापुर...
रूकतापुर...
Shashi Dhar Kumar
सच तुम बहुत लगती हो अच्छी
सच तुम बहुत लगती हो अच्छी
gurudeenverma198
तुझे पाने की तलाश में...!
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन - रात (कुंडलिया)
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन - रात (कुंडलिया)
Ravi Prakash
है हिन्दी उत्पत्ति की,
है हिन्दी उत्पत्ति की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खामोशी ने मार दिया।
खामोशी ने मार दिया।
Anil chobisa
नाक पर दोहे
नाक पर दोहे
Subhash Singhai
मत बांटो इंसान को
मत बांटो इंसान को
विमला महरिया मौज
Loading...