मानवता झूठ है, अप्राकृतिक है l
मानवता झूठ है, अप्राकृतिक है l
संपूर्ण सृष्टि का, ना प्रतीक है ll
मानव, मानव बस्ती, है बदलती l
पता ना, कहाँ गलत, कहाँ ठीक है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
मानवता झूठ है, अप्राकृतिक है l
संपूर्ण सृष्टि का, ना प्रतीक है ll
मानव, मानव बस्ती, है बदलती l
पता ना, कहाँ गलत, कहाँ ठीक है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”