मानवता का धर्म सबसे श्रेष्ठ
इंसानों को इंसानों से लड़ना सिखाये।
अभिमान में अंधे होकर खून बहाए ।
अपने धर्मं-ग्रंथों का प्रचार -प्रसार कर ,
खुद को अन्य धर्मों से सबसे श्रेष्ठ बताए।
अपने धर्म गुरुओं की मंडली बनाकर ,
दूसरेधर्मों के लिए गहरी साजिश रचाये।
मजहबी तालीम के बहाने अपने बच्चों,
के मन में अन्य धर्मों के प्रति घृणा सिखाए।
एक ही चमन के फूल होकर ऐसी दुर्भावना !
एक ही मंज़िलके मुसाफिर हो तो करीब आएं ।
एक ही पिता की संतान होकर कैसी शत्रुता ?
खुले दिल से एक भाई दूसरे भाई को अपनाए ।
इबादत करने का ढंग अलग अलग हो सकता है,
तो क्या ! मतलब तो खुदा सभी को याद रह जाए ।
खुदा कहो उसे या परमात्मा,वाहेगुरु या गॉड कहो ,
नाम तो कई हैं उसके मगर पिता वोह सबका कहलाए।
हमारी जीवन -शक्ति तो एक ही है वो परमात्मा
मृत्यु के पश्चात सभी उसी में ही जाकर समाये ।
गीता हो या क़ुरान ,बाइबल या गुरु-ग्रन्थ साहिब।
चाहे कोई भी हो संदेश तो उसने प्रेम ही बताए ।
मानवता का धर्म ही है सभी धर्मो से सर्वश्रेष्ठ ,
सब भेदभाव भूलकर बस उसी को अपनाएं ।