माथे के8 बिंदिया
****** माथे की बिंदिया *******
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सदा सुहागिन है माथे की बिंदिया,
दीवाना बनाती माथे की बिंदिया।
आँचल में सुनहरी सपने हैं समेटे,
नई राहें दिखाती माथे की बिंदिया।
जिम्मेदारी है रहती कंधों पर भारी,
मन से निभाती माथे की बिंदिया।
पहले पकाती अंत मे सदा खाती,
भूख छिपाती है माथे की बिंदिया।
आँखों मे आँसू हैं दरिया का पानी,
सबक सिखाती माथे की बिंदिया।
मनसीरत अबला दुख सहती जाए,
सुनाती कहानी माथे की बिंदिया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली ( कैथल)