मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
ज्ञानदान से मेरा तन, मन, अंतर निर्मल कर दो।
श्री गणेश सा बालक बनकर, तेरे दर पर आया।
ज्ञान आज तक जो भी पाया, माँ तुमसे ही पाया।
कर्मदायिनी शुभ कर्मों से मेरा अंतर भर दो।
मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
मैं तो मैया द्वार तुम्हारे खाली हाथों आया,
बुद्धि विवेक रहित था, केवल रीता घट ही लाया,
अपनी करुणा ममता देकर रीते घट को भर दो
मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
जो आशीष तुम्हारा पाता, जीवन सफल बनाता।
लक्ष्मी का आशीष साथ में, सहज स्वतः पा जाता।
बुद्धि विवेक ज्ञान अरु कौशल से मन पूरित कर दो।
मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
लक्ष्मी बन मम् ह्रदय विराजो, लक्ष्मी सम बन जाऊँ,
बस दरिद्र नारायण की मैं, सेवा कर सुख पाऊॅं,
एक हाथ पाऊँ दूजे से दान वृत्ति तत्पर दो।
मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG – 69,
रामगंगा विहार फेस 1,
मुरादाबाद (उ.प्र.)
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