मात पिता
नये साल में कसम उठाओ , जीने का अंदाज़ बदल दो ।
मात पिता की सेवा करलो , घर के सारे नियम बदल दो ॥
कष्ट उन्हे नहीँ होने देंगे , इसी को अपना धर्म समझ लो ।
कर्ज उतार नहीँ सकते हो ,जीवन उनकी देन समझ लो ॥
मात पिता ने जो भी कमाया ,सब कुछ तुम पर ही तो लगाया ।
इसी लिये तुम बन गये अफसर ,इस को अपना भाग्य समझ लो ॥
खुद से पहले तुम्हे खिलाया बचने पर ही खुद कुछ खाया ।
आज वो हो गये तुम पर निर्भर ,बात यही बस तुम भी समझ लो ।
जीवन के अंतिम पड़ाव में , उनको सारी खुशियाँ दे कर ।
स्वर्ग बना लो अपने घर को , और उनका यह दर्द समझ लो ॥
विजय बिज़नोरी