मातृ प्रेम
मातृ प्रेम, तुझे धान्य जगत में,
माँ शाश्वत है नश्वर सब जग में,
मातृ प्रेम सत्य जगत में
मिथ्या है जग का प्रेम,
अक्षय अनश्वर माँ जग में,
धरती पे ईश्वर माँ के रूप में,
मथुरा काशी मक्का मदीना,
बसते सब तीर्थ माँ चरणों में,
इन चरणों की सेवा कर लो,
पीर पैगम्बर सब अवतारी,
बसते माँ चरणों के रज में,
माँ रज को मस्तक पे लगा,
धन्य हो जीवन एक पल में,
मातृ प्रेम की जय बोलो,
सब दुखों को तुम तोलो,
माँ देवी माँ चरण है तीर्थ,
सेवा करो हो सफल मनोरथ,
बेदर्दी गाये माँ की महिमा,
सबसे बड़ी माँ की गरिमा,