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29 May 2024 · 1 min read

मातृ -पितृ भक्ति के दोहे

मात -पिता को कीजिए, उठकर नित्य प्रणाम
इनके पदवंदन से ,सफल होते सारे काम

माता स्वयं लक्ष्मी ,पिता नारायण समान
इनको छोड़ हरी भजे ,कैसे मिले भगवान

मात-पिता के चरण में, बसते चारो धाम
कीजिए इनकी परिक्रमा, नित्य आठों याम

मात- पिता नित सेईये ,बनिए श्रवण कुमार
मिल जाएगा स्वर्ग यहीं ,होगी जय जयकार

दोष देखना मात पिता के,नही पुत्र का काम
आज्ञा पालन तुरंत कर ,वन को गए श्री राम

पिता के सुख हेतु ,अपना सुख सब छोड़ दिया
देवव्रत भीष्म बना ,मृत्यु पर भी विजयी हुआ

मात-पिता प्रदक्षिणा से ,प्रथम पूज्य बने गणेश
उनकी पूजा से ,दूर होते सब विघ्न -क्लेश

नारायण करते प्रतीक्षा ,घर के बाहर बैठ
पितृ सेवा निमग्न है ,पुंडलिक ना करता भेंट

मात- पिता सेवा महत्व, जो ना पाया पहचान
पूजा, जप- तप ,तीर्थ सब, निष्फल, निश्चित मान

©ठाकुर प्रताप सिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
31 Views
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