मातृ दिवस
मातृ दिवस पर विशेष रचना
**********************
मां बच्चे की पहली शिक्षक है,जो सबको पढ़ाती है।
उसकी अपनी वर्णमाला है,जो सबको सिखाती है।।
मां खुद गीले मे सोकर,तुम्हे सूखे मे हमेशा सुलाती है।
मां खुद ना खाकर,तुम्हे पहले ही भोजन कराती है।।
मां ही तुम्हे लोरी सुनाकर,थपकी देकर भी सुलाती है।
जब तुमको नींद न आए खुद भी वह न सो पातीं है।।
मां के ऋण को चुका नहीं सकते चाहे सात जन्म ले लेना।
ये ऋण रहेगा तुम पर,चाहे सारे ऋण तुम चुका देना।।
मां की ममता का कोई मूल्य नहीं उसका मूल्य कभी लगाना मत।
उसके तोलने की तराजू बनी नहीं उसको तोलना कभी तुम मत।।
मां पालती है चार बच्चो को पर उसको नहीं वे पाल पाते हैं।
कैसी है ये विडंबना है चार बच्चे एक मां को न रख पाते हैं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम