मातृशक्ति को नमन
त्याग तपस्या की मूरत, करुणा प्रेम और बलिदान की
मैं धरती की पुत्री, मैं जननी सकल जहान की
सारी धरती गोद है मेरी, आंचल मेरा नीलगगन
विश्व मेरे वात्सल्य में बसता, प्रेम में रहता सदा मगन
मैं ममता की छांव, मैं राधा सीता हिंदुस्तान की
धरती का संगीत हूं, आकाश की सुंदर कविता
नए बिहान की प्रथम किरण , मैं आकाश कि सविता
धरती से अंतरिक्ष में, कदम हूं हिंदुस्तान की
वात्सल्य ममता आंचल में, मां हूं सकल जहांन की
लक्ष्मी सरस्वती और काली, मैं जननी हूं भगवान की
अकथ कहानी मैत्रेयी गार्गी, दुर्गा लक्ष्मी बाई की
हर नारी में मदर टेरेसा, इंदिरा हिंदुस्तान की
घर बाहर देश दुनिया में, चर्चा नारी के काम की
दुनिया के हर क्षेत्र में आगे, धाग तुम्हारे नाम की
असीम शक्ति की धनी है नारी, मेरे हिंदुस्तान की
मातृशक्ति को शतकोटिनमन, तुम देवी हो बरदान की
धन्य धन्य तुम धन्य हो नारी, नारी सकल जहांन की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी