मातृभूमि
हम देस बसू वा परदेस बसू,
हियसँ कखनो नहि बिसरायब ,
हे मातृभूमि मिथिला अभिमान हमर !
करू इयाद हमे जखने कहब तखने सुनब,
माथ पर गमछा के मुरेठा बान्हकेँ चलि आयब !
करू स्वीकार नमन हमर,अंगप्रदेस मुखपर नाम रहै ,
जय जय जयकार करू जय मिथिला मातृभूमि तोहर,
जय अगंप्रदेस जय बज्जि संघ सगरे नाम रहै !
हमरासँ गौरब बढे़ दुनिया के,
संस्कार संस्कृति भाषा संगे आगु बढिकए नाम करू !
एक होय हम एक रहि,प्रेम स्वरसँ गुणगान करू ,
देस परदेश मे कतौ रहि, मातृभूमि तोह पर नाज करू !
करू स्वीकार नमन हमर,अंगप्रदेस मुखपर नाम रहै ,
जय जय जयकार करू जय मिथिला मातृभूमि तोहर,
जय अगंप्रदेस जय बज्जि संघ सगरे नाम रहै !
जँ खगता हुअए देस के हमर,इ जिनगी के संताप करू,
चम्पारणकें जेहन क्रांतिवीर बनू ,मारिकें सिमरिया स्नान करू ,
दरभंगा महाराज जेना लूटा दू सगरे धन,तखने महर्षि मेँहीँ कुटी अराम करू !
करू स्वीकार नमन हमर,अंगप्रदेस मुखपर नाम रहै ,
जय जय जयकार करू जय मिथिला मातृभूमि तोहर,
जय अगंप्रदेस जय बज्जि संघ सगरे नाम रहै !
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य