मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा-हिन्दी
हिन्दी में हम पढ़े लिखेंगे, हिन्दी ही हम बोलेंगे
हिन्दी को घर-घर पँहुचाकर,हिन्द द्वार हम खोलेंगे
सकल हिन्द के हित में हिन्दी,सबको यह बतलायेंगे
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, हिन्दी को फैलायेंगे
शर्मसार अपनी हिन्दी को, कभी नहीं होने देंगे
हिन्दी है सम्भार हिन्द की, इसे नहीं खोने देंगे
भ्रांत मनुज के गहन तिमिर को, दूर भगाएगी हिन्दी
कटु विषाद मन जनित व्याधि को,सदा मिटाएगी हिन्दी
हिन्दी बिना हिन्द की महिमा, कभी नहीं बढ़ पाएगी
अगर अनादृत हिन्दी होगी, मातृभूमि मिट जाएगी
दृढ़ संकल्प सौंह ले मन में, हम अधिकार दिलाएंगे
हिमगिरि के उत्तुंग भाल पर, हिन्दी को चमकाएंगे
सकल राष्ट्र के सिंहासन पर, हिन्दी को बैठाएंगे
अंग्रेजी के मोह पाश से, अब अवमुक्त कराएंगे
एक सूत्र में बाँध हिन्द को, हिन्दी चमन सजाएगी
बिन हिन्दी के आज अस्मिता, खतरे में पड़ जाएगी।।
डॉ. छोटेलाल सिंह ‘मनमीत’