Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2017 · 2 min read

मातृत्व दिवस पर माफ़ीनामा. ….

मातृत्व दिवस पर….. (माफ़ीनामा) प्यारी माँ….
माँ तो साक्षात् ममता की मूरत है जाने-अनजाने हम माँ से नाराज भी हो जाते हैं झगड़ा भी कर लेते हैं पर जब हम अकेले में बैठकर सोचते हैं तब दिल स्वयं को धिक्कारता है कि हमने गलत किया है माँ से ऐसे नहीं पेश आना चाहिए! ये बात आज भी मुझे बहुत अखरती है… अक्सर माँ अपने बच्चे का ख्याल बखूबी रखती है और जब बच्चा दूर रहता हो तो और भी एक-एक चीज सोचकर यादकर पैक करती है! बात ऐसी ही थी उन दिनों मैं इलाहाबाद रह रही थी गर्मियों का मौसम था माँ मुझे अपना ध्यान रखने को कहतीं,और पापा की चोरी से मुझे जूस और फल के पैसे देती रहती! माँ का दुलार ही अलग है!पापा को तो ये बात अच्छे से पता होती पर वो अनजान बने रहते जानकर भी! उस बार छुट्टियों में कुछ दिन के लिए हम घर गये थे !माँ ने बहुत ध्यान रखा और जब छुट्टियाँ बीत गयीं! मेरे इलाहाबाद वापस आने की तैयारी होने लगी तो माँ का चेहरा उदास हुआ पर उन्होंने अपनी उदासी जाहिर नहीं की मेरे लिए!क्योंकि मेरे जाने के बाद माँ अकेले रह जाती थी घर पर! लेकिन फिर भी कभी मुझे एहसास नहीं होने देती बस चुपके से रो लेती थीं सामने कभी नहीं! माँ मेरा सामान रख रही थी! मुझे ज्यादा सामान ले जाने में असुविधा होती थी इसलिए आधे से ज्यादा सामान निकल देती थी माँ का बस चले तो पूरे घर का सामान ही रख दे !लेकिन माँ फिर भी जबरदस्ती कुछ सामान डाल देती थी मेरी लाख ना करने पर भी! उस समय गर्मी बहुत थी माँ ने पानी वाले कुछ फल बैग में रख दिये थे मैं उनको ले जाना नहीं चाहती थी माँ ने धुल कर अच्छे से पॉलीथिन में बन्द करके रखा था उनकी बड़ी इच्छा थी कि मैं ले जाऊँ !पर मैंने उनकी जिद के आगे अपनी जिद कर ली माँ के बार-बार कहने पर भी एक ना सुनी और हम उसे घर पर ही छोड़ इलाहाबाद आ गये मैंने जरा भी उस वक्त नहीं सोचा कि तुमने कितने प्यार से उन फलों को धुल फिर रखा मैंने तुम्हारे उस प्यार को ठुकरा दिया! पर माँ जब मुझे एहसास कि मैंने बहुत बड़ी गलती कि है तुम्हारा दिल दुखाया है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि तुम तो अब इस दुनियाँ में रही ही नहीं! माफी भी कैसे माँगू?मन ही मन इस बात से आज भी आत्मग्लानि होती है!
लेकिन लोग कहते हैं ना माँ कभी अपने बच्चे से दूर नहीं होती वह सदैव अपने सन्तान के पास ही रहती है इसलिए माँ मैं आज
तुम्हारे दिन के इस अवसर पर तुमसे माफी मांगती हूँ कि मैंने जाने-अनजाने आपका दिल बहुत बार दिखाया है! माँ तुम मुझे माफ कर दो! तुम जरूर आसमान से मुझे निहार रही होगी! देखो ना! आँखें भी आपसे माँफी माँग रही हैं.. आँसुओं के जरिये!
….तुम्हारी बेटी माँ…
मातृत्व दिवस के शुभ अवसर पर सभी माताओं को शुभकामनाएँ….
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
Tag: लेख
649 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चॉकलेट
चॉकलेट
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
***कृष्णा ***
***कृष्णा ***
Kavita Chouhan
एक बार बोल क्यों नहीं
एक बार बोल क्यों नहीं
goutam shaw
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
* नदी की धार *
* नदी की धार *
surenderpal vaidya
बारिश की मस्ती
बारिश की मस्ती
Shaily
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
Vishal babu (vishu)
हिन्दी हाइकु
हिन्दी हाइकु
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
VINOD CHAUHAN
#DrArunKumarshastri
#DrArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
दुष्यन्त 'बाबा'
" चलन "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
लाचार जन की हाय
लाचार जन की हाय
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तुम ही तो हो
तुम ही तो हो
Ashish Kumar
अंदर से टूट कर भी
अंदर से टूट कर भी
Dr fauzia Naseem shad
Exploring the Vast Dimensions of the Universe
Exploring the Vast Dimensions of the Universe
Shyam Sundar Subramanian
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
प्यार के सिलसिले
प्यार के सिलसिले
Basant Bhagawan Roy
संत कबीर
संत कबीर
Lekh Raj Chauhan
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
2923.*पूर्णिका*
2923.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नववर्ष पर मुझको उम्मीद थी
नववर्ष पर मुझको उम्मीद थी
gurudeenverma198
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मन में उतर कर मन से उतर गए
मन में उतर कर मन से उतर गए
ruby kumari
सच और झूठ
सच और झूठ
Neeraj Agarwal
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
Prastya...💐
Prastya...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
Loading...