माता शारदा
मातृ शारदे नमन
नमामि हंसवाहिनी भजामि मातृ शारदे।
अभय करो सुदान दो महा विभूति शारदे।
करस्थ पुस्तकम सदैव ज्ञान दान ही करे।
ललित कला सुकाव्य भाव प्रेम भव्य नित भरे।
रहे न लेश मात्र कष्ट पास में बुलाइए ।
मृदुल मधुर सहज सरल सफ़ल सदा बनाइये।
सुसत्य स्नेह राग वृत्ति से हृदय पटे सदा।
दुराव दोष दृष्टि दृश्य लोक से हटे सदा।
परार्थ भावना रहे सदैव स्वार्थहीनता।
विवेक संपदा मिले मिटे अभाव दीनता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।