माँ के चरणो में
पाप नाशिनी असुर संहारिणी काली रूप हे मां
अष्ट भुजी मां सिंह बाहिनी अम्बे रूप हे मां।।
देव दनुज सुर मनुज के ऊपर विपदा आन पड़े।
तब हुंकार करे तू मैया त्रिभुवन डोल उठे।।
हाथ खड्ग नर मुंड की माला खप्पर हाथ धरे।
रक्त बीज महिषासुर मारे जग कल्याण करें।।
मंगल करणी भव भय हरिणी चंडी रूप हे मां।
चैत्र मास नौ दिन मैया के नौ नौ रूप धरे।।
ज्योति जले नौ दिन मैया की छप्पन भोग लगे।
जो भी आए शरण तिहारे मंगल काज करे।।
कन्ही शारदा कन्ही भवानी कितने रूप धरे।
सब सुख करणी मातृ रूपणी दुर्गा रूप हे मां।।
अष्ट भुजी मां सिंह वाहिनी अम्बे रूप हे मां।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा (m,p,)
9479611151