माता-पिता
हमारा जो अस्तित्व है
आधार है माता पिता ।
माता यदि भूमि है तो
आकाश है अपने पिता ।
छाँव है माता की ममता
बन धूप मिलते है पिता ।
पल्लवित करते हमें
सर्वस्व दे माता-पिता |
न उऋण हो पाया कोई
मातृ ऋण या पितृ ऋण से ।
निराकार ईश्वर का ही
साकार अंश माता-पिता ।
श्रद्धा से स्वीकारते यदि
आदेश या उनके वचन
जीवन को इस वरदानमय
कर जातें हैं माता-पिता ।