माता पिता भगवान
कोई कहता है रब तुमको
कोई कहता है राम
कोई कहे सृष्टि नियन्ता कोई कहता घनश्याम
कोई कहता रब ………
कोई कहे प्रभु निराकार
कोई कहे हनुमान
कोई कहे रचनाकार प्रभु
कोई कहता है अंजान
कोई कहता है रब …
कोई कहे रहीम तुम्हे
कोई कहे करीम तुम्हे
सबके हो साथी तुम
सब कहें अपना अजीज तुम्हे
सबका है तू मालिक प्रभुवर
इस बात से कुछ अंजान
कोई कहता है रब …
मैं तो बस इतना कहता तू है मेरा भगवान है तू सब जगह
बसता न है कोई विशेष पहचान
हर दिल का वासी है तू जो कर सके पहचान
कोई कहता है रब ……
कोई कहता कबीर तुझे
कोई कहता नानक
सब जीव हैं शरण तेरी
सब हैं तेरी संतान
कोई कहता है रब ……
कोई कहे भोले शंकर
कोई कहे बवन्डर
कोई कहता विष्णु
कोई कहे ब्रह्मा
कोई कहता जगदाता
कोई भाग्यविधाता
कोई कहे दीनानाथ प्रभु
कोई कहता है प्रधान
कोई कहता है रब ………
मैं क्या कहुं ?तुझे
जब हैं तेरे इतने नाम नित लूँ नाम उनका
करूँ उनका नित गुणगान
हूँ जिनकी संतान
हैं वे मेरे लिए महान
क्षमा करें भगवान
हैं वे मेरे भगवान
कोई कहता है रब ……
जिनके दिल का वासी हूँ
जिनकी आँखों का हूँ तारा ,
जो करते चिन्ता दिन-रात मेरी ,
उनको हूँ मैं सबसे प्यारा ,
है प्रणाम मेरा उनके चरणों में,
है चरण में उनके नमन ,
है वे मेरे मार्गदर्शक ,
हैं वे मेरा अभिमान |
कोई कहता है रब ….
वंदन करूँ मे उनका,
नमन करूँ चरणों मे उनके,
हो जाए तेरी आराधना ,
हो जाए तेरा गुणगान ,
हर जीव में हैं आप महाप्रभु ,
इसलिए मैं पूजा करूँ,इंसान|
कोई कहता है रब……..