माता पिता नर नहीं नारायण हैं ? ❤️🙏🙏
माता पिता नर नहीं नारायण हैं ?
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माता पिता के चरणों में
नित उठ प्रणाम कर
शीश झुका आशीर्वाद से
जीवनपथ पर चलना है
ये नर नहीं नारायण है
पालन पोषण आहार विहार
में रखी कभी कसर नहीं
औकात नहीं पर परिश्रम
से कष्ट कॉंटों पर चलकर
फूलों की तेरी राह बनाई
कलात्मक कृति से प्रेम प्यार
आचरण संस्कार अनुशासन
रंगो से पथ रंगोली भरी तेरी
अपनी कूची वाणी से
शिक्षा दीक्षा परोपकार दे
तेरे सपनों की राहों से
कंकड़ पत्थर चुन हटा
अपनी व्यथा छिपाकर
यही सोचा नभ चर की
उड़ान कल हो तेरा
सेज सजा पूलों की वगिया
निन्दिया सकुन भरा पलकों
पर कांटे कभी चुभ नहीं पावे
कल सुमंगल हो तेरा
पथ अपना संगीन बना
व्यथा पीड़ा गम आँसुओं
से हर्ष उल्लास खुशबु का
उपवन सीचा तेरे लिए
रक्षक स्वामी खानदान का
पहचान तुम्हारी इनकी है
पहचान बनाकर देखो
सुलभ नहीं मुश्किल है
माता पिता चार अक्षर नहीं
जीवन का सात समंदर हैं
कृतध्न नहीं कृतज्ञता से
इनकी कर्मपथ समझो
आंखों तारा राजदुलारा
लाखों में एक लाल हमारा
सोच सोच पग बढाता
जीनें की राह बना तेरी
चीर निंद्रा ले लेता है
कूल मशाल दे तुम्हें
परलोक वास करता है
जगत जननी परमेश्वर ये
नहीं रहे ? कोई बात नहीं
वक्त को यही मंजूर था
घबराना नही रोना नहीं
कर्मठ हिम्मत साहस से
सहज भाव से शीश लगा
चित्रों के स्पर्श से इनकी
धड़कन महशुस करनी है
पार ब्रह्म परमेश्वर सृजक
सांसों की हर धड़कन
इनकी खून से चलती है
चरण कमल में नित प्रणाम
रज कण से तिलक कर
इनका सम्मान बढ़ाना है
माता पिता कोई अक्षर नहीं
ये एक नर नहीं नारायण है।
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तारकेश्तर प्रसाद तरुण