माता?पिता
#विधा – – – – – – – #तंत्री_छन्द
#तिथि – – – – – – – ०४.०९.२०१८
#वार – – – – – – – – #भौमवार
#स्वरचित_मौलिक
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माता? पिता
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ईश्वर जैसे, मात पिता हैं,
इनसे ही, रखनी प्रत्याशा।
मंदिर मस्जिद, घूम घूम के,
ना पूरी, हो कोई आशा।।
पूजा करनी, करो पिता की,
जीवन को, आधार दिया है।
मात पिता ने,खुद से बढ़कर,
हमको ही, तो प्यार किया है।।
ईश्वर ने भी , माना है ये,
मात पिता, से बड़ा न कोई।
जिसने माना, पूज्य पिता को,
वहीं पूत, ईश्वर जस होई।।
जननी जैसी , शुभचिंतक कह,
दुनिया में, है अपना कोई।
जिसकी जननी,नहीं जगत में,
सम इसके, दुर्भाग्य न होई।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार