Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 1 min read

माटी

माटी
माटी तेरे
कितने रूप
कितने ही तेरे प्रतिरूप
अगणित गुणों को स्वयं समेटे
रंग तेरे काया अनुरूप
शून्य का पर्याय कभी तुम
जीव जगत का बनती आधार
तुमसे उपजे सकल जन जीवन
तुम में मिलकर होते इक रूप
तुम अंतिम सत्य
इस जीवन का
दंभी मानव मैं, मैं करता
जीवन यूं ही बीता सारा
मिलकर तुमसे
पुनः आकार
क्रोध दंभ से बीता जीवन
तुमसे मिल कर होता शीतल
धरातल पर फिर
रहना भी सीखा
उड़ देवों पर चढ़ना सीखा
तुम जैसे ‘ गर बन पाते
जीवन सार्थक
हम कर जाते
माटी तेरे गुणों को
‘ गर जीवन में अपना पाते
माटी होने से पहले हम
सच में जीवन जी पाते !!

1 Like · 172 Views
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
अमृत वचन
अमृत वचन
Dp Gangwar
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
Manisha Manjari
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
Otteri Selvakumar
वाणी
वाणी
Shutisha Rajput
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
जज़्बात - ए बया (कविता)
जज़्बात - ए बया (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
..
..
*प्रणय*
प्राणों से प्यारा देश हमारा
प्राणों से प्यारा देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
एक बात!
एक बात!
Pradeep Shoree
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
देने वाले प्रभु श्री राम
देने वाले प्रभु श्री राम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*कबूतर (बाल कविता)*
*कबूतर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार किए जाएं
Sonam Puneet Dubey
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
लिखता हूं खत हर रोज तेरे अफसाने पर।
लिखता हूं खत हर रोज तेरे अफसाने पर।
Rj Anand Prajapati
मुरली की धू न...
मुरली की धू न...
पं अंजू पांडेय अश्रु
तुम बेबाक बोलो, देश कर्णधार
तुम बेबाक बोलो, देश कर्णधार
डॉ. शिव लहरी
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवेदनशील हुए बिना
संवेदनशील हुए बिना
Shweta Soni
दोहे
दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
नाम बनाने के लिए कभी-कभी
नाम बनाने के लिए कभी-कभी
शेखर सिंह
जीवन से तम को दूर करो
जीवन से तम को दूर करो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
Chitra Bisht
मजदूर की करुणा
मजदूर की करुणा
उमा झा
मां
मां
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
3947.💐 *पूर्णिका* 💐
3947.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
Loading...