माटी
माटी तै माटी होरया सै
जी लकडण नै होरया सै
भरोसा कोनी पल भर का भी
नखरे कई हजार दिखया रै सै
ख्बाब मैं ही महल बनाये करदा
आना पाई कोनी धोरय रै सै
हार मानी कोनी फिर भी
खास कुछ करण की ठानी सै
चाहे लाखों ही दुख आये
हर हाल मैं मंजिल पानी सै
कुछ खास इब तुझको करना
सीरत इक कर्म तेरा साथी सै
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा