“माटी महतारी”
माटी महतारी बरोबर होथे।
ईश्वर ह पृथ्वी म सबले पहली
पेड़-पउधा उगाइस
ओकर बाद
मनखे अउ जीव-जन्तु बनाइस
जेकर ले जेवन मिल सकय।
पृथ्वी के तीन हिस्सा म पानी रखिस,
जेकर ले मनखे, जीव-जन्तु
अउ पेड़-पउधा ल पानी के कमी मत होय।
कोनो भी तीज तिहार होय,
बिन पान-फूल के पूजा नइ होय।
जब मनखे परान तियाग देथे
तभो रुखराई ह ओकर संगवारी बनके
संग म जलथे।
लकिन धरहा हथियार देख के
एकदम से डर जाथे
फेर सुसक के रोय लागथे।
ए सुरता रखबे के माटी-महतारी ल
बेचे बर सोंचना भी पाप होथे।
‘सवनाही’ (छत्तीसगढ़ी कहानी-संग्रह) ले उद्गारे
जेकर लेखक हावय-
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अउ
भारत के 100 महान व्यक्तित्व म शामिल
एक साधारन व्यक्ति