माखन चोर
क्यों मैया मुझे माखनचोर सब कहते? मैं चोरी नहीं करता। थोड़े से माखन मिश्री से भला किसका पेट मां भरता।
मां कल तो हद ही पार हो गई, मिलीं बरसाने की छोरी।
छिन लिया मेरा मुकुट बांसुरी बोली क्यों की चित्त की चोरी।
चित्त चोर कभी माखन चोर है मुझे क्यों गोपियां बुलाती।
मैं तो भोला भाला मैया, मुझे गोपियां हीं पास बुलाती।
करती छेड़ छाड़ खुद ही वे तनिक नहीं लज्जाती।
नहीं मानू तो,कान पकड़ मेरा, मां तेरे पास ले आती।
नीलम लाड लडा कान्हा के, प्यार से उन्हें मनाती।
स्वीकार करो मम भाव सलौने,नं भक्ति पूजा मुझे आती।
शांति उन्नति रहें सदा देश में,दिन दूनी बढ़े देश की ख्याति।
सद्भावना नीति मूल्यों वाली सुसंस्कृति रहे विश्व पर छाती।
नीलम शर्मा