मां
मां
ममता मात त्रिभुवन समाई।
मां की शक्ति वरणी न जाई।।
मात अतुलित प्रेम का सागर।
पल-छिन ममता करे उजागर।।
जनक- जननी बिन सृष्टि सूनी।
पा संतति हो खुशियां दूनी।।
जीवन सुख सब उन पर वारा।
लालन-पालन कर उपकारा।।
हृदय मात कोमल अति न्यारा।
शीतल छांव जगत उजियारा।।
देखे दुखी हरे सब पीरा ।
होवे व्याकुल अति गंभीरा ।।
माता सखी- सखा बन जावे ।
कर पकड़ सब खेल खेलावे ।।
भुज थाम सही राह दिखावे ।
पग-पग पर संबल बन जावे ।।
प्रेम मूरती मधुरिम वाणी।
ईश रूप तुम्हीं को जाणी।।
दूध मे तेरे अमृत पाया।
और गोद में पावन छाया।।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश