मां–बाप
मां–बाप ने ऐसी कहानी दी है,
ज़िन्दगी भर की निशानी दी है।
शक्ल-सूरत सब एक जैसे,
उम्र भर की निगरानी दी है।
आज मुझे हर शक्स पहचान लेता है,
आपने ऐसी जिन्दगानी दी है।
आँचल का प्यार, आँखों में पानी,
होठो पर मुस्कुराहट रुहानी दी है।
साथ चलना था एक-दूजे के
दूर होकर आपने दुनिया सयानी दी है।
नहीं सुलझते हैं एहसासों के बन्धन
आपने चिट्ठी ऐसी पुरानी दी है।
मां—बाप ने हमें जिंदगानी दी है
जीवन भर की कहानी दी है।
©अभिषेक पाण्डेय अभि
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