मां
मां तूने जो जन्म दिया तो
इस जीवन का अर्थ समझ आया
उनसे पूछो मां क्या होती है
जिसने बिन मां के बचपन बिताया
दुखों को समेट लिया
अपने सर्वर से प्यार को बिखेर दिया
सुखों को अपने तूने त्यागा
मेरे सपनों को सहलाया
हम इतने नादान थे
कि तू क्या चाहती है कभी जान न पाया
तेरे समर्पण का कर्ज कभी उतार नहीं सकेंगे
जब तुम ना होगी इस दुनिया में शायद तभी तेरा दर्जा जान सकेंगे
उस शिशु से पूछो कि मां क्या होती है
जन्म दिया जब अपनी संतान को जान पाए की
मां अंधकार की ज्योति होती है
रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश