मां
बहुत याद आती है ए मां तुम्हारी।
भले दूर हूं पर हूं धड़कन तुम्हारी।
बहुत पढ चुकी हूं मगर कम पढ़ी हूं।
अवर्णनीय है मां महिमा तुम्हारी।
नौ माह तुमने है खुद में सहेजा।
सहे कष्ट अगणित मुझे जग में भेजा।
मेरी जिंदगी है अमानत तुम्हारी।
भले दूर—-_—।
मेरी एक हंसी पर तू लेती बलैया।
तनिक आह पर मेरी रो-रो तू जाए।
मुझको बनाने में खुद को मिटाए।
तेरी खूबियों को मैं मां बनकर जानी।
मिले फिर से बचपन हो ममता की छैंया।
बडी हो गई हूं मगर खालीपन है।
न बचपन की हरकत न मां का ही डर है।
रेखा जमाने की दौलत के बदले मुझे मेरा बचपन मां की गोद देदे वही लम्हा ढूंढ़े है बिटिया तुम्हारी