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8 May 2020 · 1 min read

मां

कैसे कैसे दर्द लिए फिरती हूँ मैं,
रोज एक तिनका नीड़ का बुनती हूँ मैं,
कभी उड़ती हूँ,आसमान को छूने….
कभी धरती पर बिखरे दाने ,चुनती हूँ मैं,
थक कर जब बैठती हूँ,कड़ी धूप में शिला पर,
एक टुकड़ा बादल ढूँढती हूँ मैं,
चल पड़ती हूँ,दूगने उत्साह से……..
बच्चों के लिए खुशियाँ लाने………
जब भरोसा अपने लिए,उनकी आँखों में देखती हूँ मैं……..।

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 267 Views
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