मां
ये शब्द है छोटा सा लेकिन
इसमें ममता का सागर है
करुणा और प्रेम से भरा हुआ
मां के मन का गागर है।
संपूर्ण जगत की जननी है
कल्याणी विपदा हारी है
सर्वस्व लुटाती बच्चों पर
मां होती सभी सुखकारी है।
अपने तन पर यह कष्ट सहे
पर बच्चों का ये कष्ट हरे
निस्वार्थ भाव से हमसब की
हर इच्छाओं को पूर्ण करे।
मां सह कर के भी दुख सारे
आशीष लुटाए ये वर दे
खुद जलकर जीवन अग्नि में
हमको ये कुंदन सा कर दे।
रिपुदमन झा “पिनाकी”
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित_एवं_मौलिक