ईश्वर का ही रूप है मां
ईश्वर का ही रूप है मां,परे्म का ही स्वरूप है मां
अद्भुत दुनियां दिखाने को किया गर्भ में धारण,
श्वेतरक्त से सिंचित कर किया जीवन का सृजन,
जन्मदात्री है ये मां,प्राणदायिनी है ये मां…..
हर सुख दुख वो सह जाती है,
जो कह दे वही बात हो जाती. है
ऐसी वेदवाणी है ये मां,सबसे बड़ी ज्ञानी है ये मां…..
वो है सुंदर सुशील सी भोली
वो है मेरी सच्ची हमजोली
जब जब गहन रात है आई,राह दिखाती है ये मां…..
उसकी हंसी है निर्मल पावन
उसकी चूड़ियों से खनकता है घर आंगन
भक्ति की सूरत है मां शक्ति की मूरत है मां….
बच्चों के खुश होने पर खुश होती है मां
बच्चों के दुख में दुखी होती है मां
सारी बलाएं अपने सिर ले लेती है मां
ऐसी अवतारी है मां……
(डा मीनाक्षी कौशिक रोहतक )