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9 Aug 2024 · 1 min read

मां

मतळब रा सब मानवी, दोखी घण दुनियांण।
रछिया मायड़ राखजौ, सब सूं म्हूं अणजांण।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️

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