मां
वो लफ़्ज़ ढूंढ़ने से भी मिलता नहीं अखबारों में।
मां की ममता अब भी बिकती नहीं बाज़ारों में।
ज़माने भर में तलाश उसकी करो तुम मेरे हमदम।
मां के जैसा प्यारा कोई भी मिलता नहीं हज़ारों में।
वो हर दिन बांधती है दुआओं के ताज सर पर मेरे ।
उसके दम से कश्ती आज पार लगी है किनारों में।
उसकी उल्फत ज़माने में सबसे बेहतर है ।
वो तड़पता नहीं छोड़ती है आज भी बे सहारो में।
मां तेरी मौहब्बत का हक़ अदा अब मैं कैसे करो ।
तुझको हर पल में ढूंढ़ती हूं असमा के तारों में।।