*मां*
इस जग की बलिवेदी में,
दीपक की ज्योति हो तुम l
मानव जग के इस आधार की,
पूर्ण रूप से देवी हो तुम l
इस जग की बलिवेदी में,
दीपक की ज्योति हो तुम ll
निर्मल पवित्र हृदय की धरनी,
वीरों की जननी हो तुम l
इस जग की बलिवेदी में,
दीपक की ज्योति हो तुम l
जग के परिवर्तन की गंगधार,
मुख में उज्जवल हो उदार l
भावनाओं की वृद्धि धार,
मृत्यु लोक में चंदन हो तुम ll
इस जग की बलिवेदी में
दीपक की ज्योति हो तुम ll